विश्व साक्षरता दिवस 08 सितम्बर 2015 पर विशेष
पानीदार समाज सिर्फ पढ़ने–लिखने भर से नहीं बन जाया करता। पढ़ने–लिखने के लिये साक्षरता जरूरी हो सकती है लेकिन पानीदार होने के लिये पानी के पर्यावरण को समझने भर या मात्र शिक्षित हो जाने से काम नहीं चलता बल्कि उसके लिये ज़मीन पर काम करना ही पड़ता है। पढ़ने–लिखने से हमारी समझ विकसित हो सकती है, दृष्टि बन सकती है हम जागरूक हो सकते हैं पर पानीदार होने के लिये केवल इतना ही जरूरी नहीं होता।
पानी आज जीवन के लिये सबसे जरूरी होता जा रहा है। पानी के बिना सामाजिक और आर्थिक प्रगति के बारे में सोचा तक नहीं जा सकता। अब सोचिए, उस जमाने के बारे में जब न तो इतने लोग पढ़े–लिखे हुआ करते थे और न ही कागज–किताबों में पानी की इतनी बातें हुआ करती थी तो भी पानी को लेकर उनके अनुभव का ज्ञान किस हद तक उन्नत और उर्वर था कि उन्होंने उस संसाधन विहीन दौर में भी ऐसी–ऐसी जल संरचनाएँ और तकनीकें जुटाई कि आज के वैज्ञानिक दौर में भी हम उन्हें देखकर हैरत में पड़ जाते हैं।