नदी का शुद्धीकरण अपने आप में एक जटिल प्रक्रिया है। भारतीय परम्परा में तो नदियों को माता तुल्य आदर देकर स्वच्छ रखने के प्रयास हुए। ये प्रयास एक लम्बे समय तक सफल भी हुए। जब तक हमारी सभ्यता औद्योगिक रासायनिक तरल व ठोस कचरे और शहरी मलजल को वर्तमान तरीके से निपटाने वाली व्यवस्था से मुक्त थी, हमारी नदियाँ शुद्ध थीं।
नदियों के प्रति आदर भाव के चलते उत्पन्न सावधानी से ही काम चल जाता था। हालांकि वह आदर भाव किसी भावुक सनक से पैदा नहीं हुआ था, बल्कि जल की, प्राणी जगत के लिये महत्ता की गहरी समझ का परिणाम था।