दिनांकः
सेवा में,
जन सूचना अधिकारी/तहसीलदार,
तहसील-रसूलाबाद
जनपद- कानपुर देहात, उ0प्र0।
विषयः सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदन।
दिनांकः
सेवा में,
जन सूचना अधिकारी/तहसीलदार,
तहसील-रसूलाबाद
जनपद- कानपुर देहात, उ0प्र0।
विषयः सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदन।
महाराष्ट्र में पानी के लिये हाहाकार मचा हुआ है। लातूर और जलगाँव में पानी के लिये लोग कानून-व्यवस्था अपने हाथ में ले रहे हैं। हालात काबू में रखने के लिये प्रशासन को धारा 144 लगानी पड़ रही है। लेकिन बुरहानपुर के लोगों ने पानी की समस्या को सावधानी और सतर्कता के साथ सुलझाने की कोशिश की है। सोच और संकल्प यह है कि न तो पानी की रेलगाड़ी बुलाने की नौबत आये और न ही पानी की छीना-झपटी रोकने के लिये पुलिस को धारा 144 लगानी पड़े। गाँव के लोग पानी के लिये लड़ नहीं रहे, पानी बचाने का प्रयास कर रहे हैं। किसान को याद हो चला है कि वे पानी बना तो नहीं सकते, हाँ! पानी को बचा जरूर सकते हैं।
जसौंदी की सरपंच शोभाबाई रमेश प्रचंड गर्मी और पानी की किल्लत से दो-दो हांथ करने के लिये तैयार हैं। शोभाबाई कहती हैं- हमारी क्षेत्र की जनप्रतिनिधि अर्चना दीदी हमारे साथ हैं, हम पानी की किल्लत और सूखे से पार पा लेंगे।
केन-बेतवा नदी गठजोड़ परियोजना में सुप्रीम कोर्ट के सहमति के पश्चात सुकवाहा गांव में सर्वे कार्य चल रहा है। पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क संरक्षित वन क्षेत्र है यदि लिंक बनता है तो यहां कि बायोडायवर्सिटी के विलोपन का खतरा है। साथ ही प्रस्तावित केन-बेतवा नदी गठजोड़ में डाउनस्ट्रीम में स्थित केन घड़ियाल अभ्यारण्य भी पूरी तरह जमींदोज हो जायेगा। तथा जल जमाव, क्षारीयकरण, जल निकास व जैव विविधता से जो उथल-पुथल होगी उससे न सिर्फ सैकड़ों वन्यजीवों पर संकट के बादल आयेंगे बल्कि बुंदेलखंड पानी की जंग के दौर से गुजरेगा ऐसे आसार हैं।
राष्ट्रीय नदी विकास अभिकरण (एन.डब्लू.डी.ए.) द्वारा देश भर में प्रस्तावित तीस नदी गठजोड़ परियोजनओं में से सबसे पहले यूपी. एम.पी. के बुंदेलखंड क्षेत्र से केन-बेतवा नदी गठजोड़ परियोजना पर अमलीकरण प्रस्तावित है। 19 अप्रैल 2011 को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के पूर्व मुखिया जयराम रमेश ने केन-बेतवा लिंक को एन.ओ.सी. देने से मना कर दिया है। क्योंकि वे खुद ही इस लिंक के दायरे में आ रहे पन्ना टाइगर नेशनल रिजर्व पार्क के प्रभावित होने के खतरे को भांप चुके थे। बड़ी बात ये है कि वर्ष 2009 तक परियोजना के डी.पी.आर. पर ही 22 करोड़ रु. खर्च हो चुके हैं। केन-बेतवा लिंक परियोजना को आगे बढ़ाने तथा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिये परियोजना को हाथ में लेने हेतु म.प्र. तथा उ.प्र. राज्यों व केंद्र सरकार के बीच इस पर 25 अगस्त 2005 को अंतिम रूप दिया गया। जिस पर म.प्र. व उ.प्र. के सी.एम. बाबूलाल गौड़ व मुलायम सिंह यादव ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किये थे।