गंगाराम के नाम में गंगा और राम दोनों हैं लेकिन उनका भरोसा इन दोनों से ही उठ चुका है। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के तिवारीटोला निवासी गंगाराम अपने परिवार के अकेले सदस्य हैं जो अपने पुस्तैनी घर में रह रहे हैं।
महज एक दशक पहले तक उनके संयुक्त परिवार में सत्तर लोग रहते थे, सामूहिक खेती होती, दिन में भले ही लोग अपने कामों में व्यस्त रहें लेकिन रात का खाना साथ में खाने का रिवाज था। आसपास के कई गाँवों में उनकी खुशहाली की चर्चा होती। पहले कुएँ में मोटर लटकाकर सिंचाई की जाती थी फिर बोरिंग यानी जमीन में पाइप डालकर सीधे पानी खींचा जाने लगा और कुआँ देखते-ही-देखते पिछड़ेपन की निशानी हो गया।