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डाउन टू अर्थ, 15 अप्रैल 2016 देश की राजधानी दिल्ली के बहुतेरे मकान ऐसे हैं जिनके सेप्टिक टैंक ड्रेनेज से जुड़े हुए नहीं है। इन मकानों से निकलने वाला मानव अपशिष्ट (मल) कहाँ जाता है इसकी फिक्र किसी को नहीं है और भला हो भी क्यों। मल कहाँ जाता है यह जानकर लोग क्या करेंगे लेकिन अब वक्त आ गया है इसकी पड़ताल होनी चाहिए क्योंकि कहीं-न-कहीं यह यहाँ के लोगों को ही प्रभावित कर रहा है।
वैसे यहाँ के लोग भले ही न जानते हों लेकिन मनोज कुमार भली प्रकार इससे अवगत हैं। मनोज कुमार इसलिये अवगत हैं क्योंकि वे इन सेप्टिंग टैकों में भरे मल को बाहर निकालकर दूसरे जगह फेंकने के काम में लगे हुए हैं।