(1966 का अधिनियम संख्यांक 54)
{29 दिसम्बर, 1966}
कुछ विक्रयार्थ बीजों की क्वालिटी के विनियमन और तत्संसक्त बातों के लिये उपबन्ध करने के लिये अधिनियम
भारत गणराज्य के सत्रहवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:-
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और विस्तार
(1) यह अधिनियम बीज अधिनियम, 1966 कहा जा सकेगा।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है।
(3) यह उस तारीख1को प्रवृत्त होगा जिसे केन्द्रीय सरकार शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियत करे और इस अधिनियम के विभिन्न उपबन्धों के लिये तथा विभिन्न राज्यों के लिये या उनके विभिन्न क्षेत्रों के लिये विभिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी।
2. परिभाषाएँ
इस अधिनियम में, जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-
(1) “कृषि” के अन्तर्गत उद्यान कृषि आती है;
(2) “केन्द्रीय बीज प्रयोगशाला” से धारा 4 की उपधारा (1) के अधीन स्थापित या इस रूप में घोषित केन्द्रीय बीज प्रयोगशाला अभिप्रेत है;
(3) “प्रमाणन अभिकरण” से धारा 8 के अधीन स्थापित या धारा 18 के अधीन मान्यता प्राप्त प्रमाणन अभिकरण अभिप्रेत है;
(4) “समिति” से धारा 3 की उपधारा (1) के अधीन गठित केन्द्रीय बीज समिति अभिप्रेत है;
(5) “आधान” से कोई बक्स, बोतल, सन्दूकची, टिन, पीपा, डिब्बा, पात्र, बोरी, थैला, आवेष्टन या अन्य वस्तु, जिसमें कोई चीज या वस्तु रखी जाती है या पैक की जाती है, अभिप्रेत है;
(6) “निर्यात” से भारत में से भारत के बाहर के स्थान को ले जाना अभिप्रेत है;
(7) “आयात” से भारत के बाहर के स्थान से भारत में लाना अभिप्रेत है;
(8) “किस्म” से फसल के पौधों की एक या अधिक सम्बद्ध जातियाँ या उपजातियाँ अभिप्रेत हैं, जिनमें हर एक अलग-अलग या संयुक्त रूप से एक सामान्य नाम से जानी जाती हैं जैसे बन्दगोभी, मक्का, धान और गेहूँ;