(1962 का अधिनियम संख्यांक 58)
{19 दिसम्बर, 1962}
कृषि उपज और कतिपय अन्य वस्तुओं के भाण्डागारण के प्रयोजन
के लिये निगमों के निगमन और विनियमन का तथा
उनसे सम्बन्धित विषयों का उपबन्ध
करने के लिये अधिनियम
भारत गणराज्य के तेरहवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:-
अध्याय 1
प्रारम्भिक
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ
(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम भाण्डागारण निगम अधिनियम, 1962 है।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है।
(3) यह ऐसी तारीख
2को प्रवृत्त होगा जिसे केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे।
2. परिभाषाएँ
इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो:-
(क) “कृषि उपज” से निम्नलिखित वस्तु-वर्गों में से कोई वर्ग अभिप्रेत है, अर्थात:-
(i) खाद्य पदार्थ जिसके अन्तर्गत खाद्य तिलहन भी हैं,
(ii) पशुओं का चारा जिसके अन्तर्गत खली और अन्य सारकृत चारे भी हैं,
(iii) कच्ची कपास, चाहे वह ओटी हुई हो या न हो और बिनौला,
(iv) कच्चा पटसन, और
(v) वनस्पति तेल;
(ख) “समुचित सरकार” से केन्द्रीय भाण्डागारण निगम के सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार और राज्य भाण्डागारण निगम के सम्बन्ध में राज्य सरकार अभिप्रेत है;
(ग) “केन्द्रीय भाण्डागारण निगम” से धारा 3 के अधीन स्थापित केन्द्रीय भाण्डागारण निगम अभिप्रेत है;
(घ) “सहकारी सोसाइटी” से सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 1912 (1912 का 2) के अधीन या सहकारी सोसाइटियों से सम्बन्धित ऐसी किसी अन्य विधि के अधीन, जो किसी राज्य में तत्समय प्रवृत्त हो, रजिस्ट्रीकृत या रजिस्ट्रीकृत समझी जाने वाली ऐसी कोई सोसाइटी अभिप्रेत है, जो कृषि उपज या किसी अधिसूचित वस्तु के प्रसंस्करण, विपणन, भाण्डाकरण, निर्यात या आयात में या बीमा कारबार में लगी हुई है तथा इसके अन्तर्गत सहकारी भूमि बन्धक बैंक भी है;
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