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धंसती धरती जहर मिला जल

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Author: 
दीपक रस्तोगी
Source: 
नेशनल दुनिया, 27 मई-02 जून 2012

जादवपुर विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एन्वायरमेंटल स्टडीज की हाल में जारी रिपोर्ट के अनुसार, कोलकाता के 114 में से 78 वार्ड इलाकों के नलकूपों के पानी में आर्सेनिक पाया गया है। 32 वार्ड इलाकों के नलकूपों में आर्सेनिक की मात्रा निर्धारित मानक से बहुत अधिक प्रतिलीटर 50 माइक्रोग्राम पाई गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानक प्रति लीटर 10 माइक्रोग्राम है। आर्सेनिक-दूषण दक्षिण कोलकाता, दक्षिण के उपनगरीय इलाके और मटियाबुर्ज के इलाकों में ज्यादा मिला है।

अंग्रेजों के जमाने में बसाए गए पूरब के महानगर कोलकाता का स्वास्थ्य लगातार गिर रहा है। शहर अब अपने ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन की मांग कर रहा है। अंग्रेजों के जमाने में विकसित की गई ढांचागत सुविधाओं पर निर्भर इस शहर के प्रशासन को इन दिनों बड़ी दो चुनौतियों की चेतावनी मिल रही है। एक ओर कोलकाता की धरती धंस रही है और दूसरी ओर, यहां से पानी में आर्सेनिक जहर घुलने लगा है। धरती इसलिए धंस रही है, कि जमीन के भीतर का पानी सूख रहा है। अंग्रेजों के जमाने में बनी सीवर लाइनें भीतर-भीतर टूट रही हैं। पेयजल में आर्सेनिक इसलिए घुल रहा है, कि महानगर में कंक्रीट का जंगल बढ़ने के साथ ही भूगर्भ जल का दोहन बढ़ा, जलस्तर नीचे पहुंचा और गहरे नलकूपों (ट्यूबवेल) से पानी निकालने की प्रक्रिया में आर्सेनिक भी पानी के साथ आने लगा। महानगर में धरती के धंसान की समस्या ने पिछले दो- एक वर्षों में बड़ा रूप ले लिया है।

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